प्रस्तर युग : मध्य पाषाण युग - सामान्य अध्ययन-भूगोल, विज्ञान, इतिहास, कला और संस्कृति

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Thursday, October 5, 2017

प्रस्तर युग : मध्य पाषाण युग


हिमयुग की समाप्ति के साथ- साथ उच्च पाषण काल का भी अन्त हो गया। उसके बाद मध्य पाषाण युग आरम्भ हुआ। लोग मुख्यतः आखेटक तथा पशुपालक थे।
इस युग के प्रमुख स्थल जहाँ खुदाई हुई - पश्चिम बंगाल में बीरभानपुर, तमिलनाडु में टेरीस्थल, गुजरात में लघंनाज, राजस्थान में बागौर , मध्यप्रदेश में भीमबेटका और आदमगढ़ , उतर प्रदेश में सराय नाहर राय। 

इस युग के विशिष्ट औजार सूक्ष्म -(पाषाण या पत्थर के परिष्कृत औजार) थे। औजार एक सेन्टीमीटर से आठ सेन्टीमीटर तक लम्बे होते थे और इनका निर्माण इस युग का प्रमुख उद्योग था। गैंडे के कन्धे की हड्डी के इस्तेमाल का साक्ष्य लंघनाज में पाये गए, आदमगढ़ में पालतू जानवरों की हड्डियाँ बड़ी मात्रा में पायी गई है बागोर में मिटी के घरों के ठोस ढांचे, पत्थरों के बिछाए गए फर्श पाये गए है। आदमगढ़ और बागोर पशुपालन का प्राचीनतम साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं।

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