भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के सनौली गाँव से 2200 ईपू से 1800 ईपू के बीच के कांस्य रथ के अवशेष की प्राप्ति का दावा किया है. पुरातत्ववेताओं के अनुसार, यह एक महत्वपूर्ण खोज है, जो कांस्य कालीन सैनिक सभ्यता की उपस्थिति की ओर संकेत करता है.
पुरातत्वविद आर के श्रीवास्तव के अनुसार, आज से लगभग पाँच हजार वर्ष पुराने ये अवशेष संभवत: हड़प्पा सभ्यता से जुड़े हैं.
उत्खनन में कांस्य रथ के अतिरिक्त, ताँबे के तलवार, ढाल, मुकुट, धूसर मृद्भाँड, पहिए, शिरस्त्राण, गहनों आदि की भी प्राप्ति हुई है. इसके अतिरिक्त उत्खनन में राजकीय शवाधान के प्रमाण भी प्राप्त हुए हैं. प्राप्त अवशेष एक समृद्ध सभ्यता की ओर संकेत करते हैं. उल्लेखनीय है कि इस काल के मेसोपोटामिया और ग्रीस से भी कांस्य रथ प्राप्त हो चुके हैं.
उत्खनन में पूर्ण शवाधान के अतिरिक्त कलश शवाधान और सांकेतिक शवाधान के प्रमाण भी मिले हैं. ताबूत के ऊपर कई तरह के चित्र और डिजाइन बनाए गए हैं.
इन नयी खोजों ने भारतीय प्राचीन इतिहास को नयी दृष्टि से देखने की आवश्यकता पर एक बार फिर बल दिया है.
पुरातत्वविद आर के श्रीवास्तव के अनुसार, आज से लगभग पाँच हजार वर्ष पुराने ये अवशेष संभवत: हड़प्पा सभ्यता से जुड़े हैं.
उत्खनन में कांस्य रथ के अतिरिक्त, ताँबे के तलवार, ढाल, मुकुट, धूसर मृद्भाँड, पहिए, शिरस्त्राण, गहनों आदि की भी प्राप्ति हुई है. इसके अतिरिक्त उत्खनन में राजकीय शवाधान के प्रमाण भी प्राप्त हुए हैं. प्राप्त अवशेष एक समृद्ध सभ्यता की ओर संकेत करते हैं. उल्लेखनीय है कि इस काल के मेसोपोटामिया और ग्रीस से भी कांस्य रथ प्राप्त हो चुके हैं.
उत्खनन में पूर्ण शवाधान के अतिरिक्त कलश शवाधान और सांकेतिक शवाधान के प्रमाण भी मिले हैं. ताबूत के ऊपर कई तरह के चित्र और डिजाइन बनाए गए हैं.
इन नयी खोजों ने भारतीय प्राचीन इतिहास को नयी दृष्टि से देखने की आवश्यकता पर एक बार फिर बल दिया है.
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