हड़प्पा सभ्यता - सामान्य अध्ययन-भूगोल, विज्ञान, इतिहास, कला और संस्कृति

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Wednesday, October 15, 2014

हड़प्पा सभ्यता

यद्यपि भारतीय उपमहाद्वीप में मानव निवास के साक्ष्य काफी पहले से मिलते रहे हैं , ई.पू . 7500-7000 के आसपास मेहरगढ़ से नव पाषाण काल के अवशेष मिले हैं , तथापि हड़प्पा सभ्यता को उपमहाद्वीप की प्रारम्भिक सभ्यताओं में सर्वाधिक उल्लेखनीय माना जा सकता है .
               हड़प्पा सभ्यता की शुरूआती जानकारी 1920 के दशक में हड़प्पा (1921) और मोहेंजोदाड़ो (1922) की खुदाई से हुई . हड़प्पा के अवशेषों का जिक्र सर्वप्रथम चार्ल्स मैसन ने 1842 में किया . 1856 में जनरल अलेक्जेंडर कनिंघम ( बाद में उतर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक बने) ने हड़प्पा की यात्रा की और पाया कि रेल निर्माण के क्रम में पास के मलबे से प्राप्त जिन पक्की ईंटों का प्रयोग किया गया है , वे पुरातात्विक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं . कनिंघम को हड़प्पा से कुछ प्राचीन मुद्राएँ (Seals) भी प्राप्त हुई . 1875 में कनिंघम ने संभावित प्राचीन सभ्यता के बारे में अपने विचार प्रकाशित किये . 1912 में जे . फ्लीट को उसी स्थान से कुछ और मुद्राएँ भी प्राप्त हुईं. अंततः 1921 में सर जॉन मार्शल के निर्देश पर रायबहादुर दयाराम साहनी के नेतृत्व में हड़प्पा की विधिवत खुदाई प्रारम्भ हुई . 1922 में राखाल दास बनर्जी के नेतृत्व में मोहेंजोदाड़ो की खुदाई प्रारंभ हुई . बाद में पुरातत्व विभाग के तत्कालीन निदेशक मार्तिमर व्हीलर के निर्देशन में उत्खनन कार्य जारी रहा . आमरी ,कोटदिजी इत्यादि स्थलों की खुदाई के बाद धीरे धीरे एक ऐसी सभ्यता सामने आई , जिसने तत्कालीन ऐतिहासिक मान्यताओं को पूर्णतया ध्वस्त कर दिया . प्रारंभ में नदी घाटी सभ्यताओं की तर्ज़ पर इसे भी सिन्धु घाटी सभ्यता का नाम दिया गया .यह स्वाभाविक भी था ,क्योंकि प्रारंभ में उत्खनित अधिकाँश स्थल सिन्धु नदी घाटी में ही थे. लेकिन , जैसे -जैसे नए नए स्थल खोजे गए , यह स्पष्ट हो गया कि सभ्यता का विस्तार सिन्धु घाटी तक ही सीमित नहीं है. नई खुदाइयों के आलोक में इसे सिन्धु घाटी सभ्यता के स्थान पर हड़प्पा सभ्यता का देने की प्रवृति बढ़ी है.

विस्तार :
अब तक प्राप्त साक्ष्यों के अनुसार , हड़प्पा सभ्यता का विस्तार , पूरब से पश्चिम 1600 किमी और उत्तर से दक्षिण 1100 किमी तक फैला हुआ था . यह सभ्यता , पूरब में आलमगीरपुर (हिंडन तट,उ.प्र.) से लेकर पश्चिम में सुतकागेंडोर (दाश्त तट ,बलूचिस्तान ) तक और उत्तर में मांडा (चेनाब तट ,जम्मू और कश्मीर) से लेकर दक्षिण में दाईमाबाद (प्रवरा तट ,महाराष्ट्र) तक फैली हुई थी. विस्तृत प्रसार के बावजूद सभ्यता के स्थलों में उल्लेखनीय समानता दिखाई देती है.

नगर नियोजन :
हड़प्पा सभ्यता की सर्वाधिक महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक उसका नगर नियोजन है. यह भारतीय उपमहाद्वीप की प्रथम ज्ञात नागरिक सभ्यता (Urban Civilization) है. 

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